The Basic Principles Of Shiv chaisa

धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे। शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥

दानिन महं तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं॥

तुरत षडानन आप पठायउ। लवनिमेष महँ मारि गिरायउ॥

दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी ने प्राचीन हनुमान मंदिर में पूजा किया

आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा॥

सांचों थारो नाम हैं सांचों दरबार हैं - भजन

लवनिमेष महँ मारि गिरायउ ॥ आप जलंधर असुर संहारा ।

शंकर हो संकट के नाशन। मंगल कारण विघ्न विनाशन॥

बुरी आत्माओं से मुक्ति के लिए, शनि के प्रकोप से बचने हेतु हनुमान चालीसा का पाठ करें

भजन: शिव शंकर को जिसने पूजा उसका ही उद्धार हुआ

जय हनुमान ज्ञान गुन सागर । जय कपीस तिहुँ लोक उजागर ॥ राम दूत अतुलित बल धामा

मंगल कारण विघ्न विनाशन ॥ योगी यति मुनि ध्यान लगावैं ।

अर्थ: हे अनंत एवं नष्ट न होने वाले अविनाशी भगवान भोलेनाथ, सब पर कृपा करने वाले, सबके घट में वास करने वाले शिव शंभू, आपकी जय हो। हे प्रभु काम, क्रोध, मोह, लोभ, अंहकार जैसे shiv chalisa lyricsl तमाम दुष्ट मुझे सताते रहते हैं। इन्होंनें मुझे भ्रम में डाल दिया है, जिससे मुझे शांति नहीं मिल पाती। हे स्वामी, इस विनाशकारी स्थिति से मुझे उभार लो यही उचित अवसर। अर्थात जब मैं इस समय आपकी शरण में हूं, मुझे अपनी भक्ति में लीन कर मुझे मोहमाया से मुक्ति दिलाओ, सांसारिक कष्टों से उभारों। अपने त्रिशुल से इन तमाम दुष्टों का नाश कर दो। हे भोलेनाथ, आकर मुझे इन कष्टों से मुक्ति दिलाओ।

त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥ ॐ जय शिव…॥

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